Sunday, January 8, 2012

मैं रिश्ता जिससे तोड़ देता हूँ तो तोड़ देता हूँ

मैं रिश्ता जिससे तोड़ देता हूँ तो तोड़ देता हूँ
जिसका साथ छोड़ देता हूँ तो छोड़ देता हूँ...
मोहब्बत ही नहीं
मैं तो नफरत भी
बड़ी ईमानदारी के साथ करता हूँ...

{{उनके लिखे खतों कि मैं कस्तियाँ बना लेता हूँ
जब शैलाब आएगा मोहब्बत का मेरे शहर में तो बहुत काम आएगी}}

मैं रिश्ता जिससे तोड़ देता हूँ तो तोड़ देता हूँ
जिसका साथ छोड़ देता हूँ तो छोड़ देता हूँ...
मोहब्बत ही नहीं
मैं तो नफरत भी
बड़ी ईमानदारी के साथ करता हूँ...

दिल तो कहता हैं की उसको पैगाम लिखूं
मैं साहिल-ए-रेत पर पैगाम लिख आता हूँ...
सागर भी मेरी तरह हैं जिद्दी
वो बिगाड़ता चला जाता हैं
मैं लिखता चला जाता हूँ....
मैं रिश्ता जिससे तोड़ देता हूँ तो तोड़ देता हूँ
जिसका साथ छोड़ देता हूँ तो छोड़ देता हूँ...

अक्सर लोग कहते हैं
मैं रास्तों में साथ देता नहीं
हर मंजिल से पहले ही रिश्ता तोड़ देता हूँ...
मेरा घर हैं कच्ची सड़क पर
मैं पक्की सड़क का रास्ता छोड़ देता हूँ...

रोमिल, मैं रिश्ता जिससे तोड़ देता हूँ तो तोड़ देता हूँ
जिसका साथ छोड़ देता हूँ तो छोड़ देता हूँ...

#रोमिल

1 comment:

pari said...

ye itna gussa q hai aj.