Tuesday, November 1, 2011

एक टूटा हुआ पत्ता उड़कर मेरे पास आया

एक टूटा हुआ पत्ता उड़कर मेरे पास आया
मुझसे पूछा
किसकी खता से मेरा यह हाल हुआ हैं
हवा का कसूर हैं या
खिज़ा का...



अभी तो डाल पर ठीक से नहीं झूल सका
अभी तो कई पंछियों की आवाज़े मुझे सुननी बाकी थी
अभी तो मैंने नहीं देखे कई बसंत
किसकी खता से मेरा यह हाल हुआ हैं
हवा का कसूर हैं या
खिज़ा का...


मैं बोला 
नहीं पता मुझे किसका कसूर हैं
हवा का, खिज़ा का या
खुदा का
बस इतना जानता हूँ कि
कसूर किसी का तो हैं...

Monday, October 31, 2011

कितने

कितने हादसों की नुमाइश नहीं होती अखबारों में रोमिल,
कितने दिल टूट जाते है, बिना आंसू बहाए...

Sunday, October 30, 2011

ज़िन्दगी खवाब हो गई...

जाने क्या खता हो गई
ज़िन्दगी जुदा हो गई
टूटे कुछ इस तरह से अपने ख़वाब रोमिल
ज़िन्दगी ख़वाब हो गई...

Tuesday, October 18, 2011

मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...

अगर हर चेहरे में उसका चेहरा नज़र आता हैं,
अगर हर बात पर उसका नाम लेता हूँ,
अगर इसे प्यार कहते हैं, तोह हाँ,
मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...

अगर किसी के इंतज़ार करने में समय नहीं देखते,
अगर उसके आने पर दिल झूम उठता हैं,
अगर इसे प्यार कहते हैं, तोह हाँ,
मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...


अगर किसी के दूर जाने के बाद उसकी याद सताती हैं,

अगर सबके साथ रहते हुए भी अकेलापन महसूस करतें हैं,
अगर इसे प्यार कहते हैं, तोह हाँ,
मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...

खुद से बातें करना,
हर प्यारे से गाने पर सिर्फ हम-दोनों का नज़र आना,
अगर इसे प्यार कहते हैं, तोह हाँ,
मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...

उसके दिल में मेरे प्यार की कोई जगह नहीं,
फिर भी उसके हाँ का इंतज़ार करना,
अगर इसे प्यार कहते हैं, तोह हाँ रोमिल,
मैंने भी किसी से प्यार किया हैं...

Monday, October 17, 2011

मैं रोज़ नए गम से मिलता हूँ...


मैं रोज़ नए गम से मिलता हूँ,
जब तक गम-ए-शमा नहीं होती, 
तब तक मैं रोशन नहीं होता हूँ.
~
मैं तो बस तनहाइयों में उस चाँद को देखा करता हूँ,
फिर न जाने क्यों, खुद पर मुस्कुराकर रोता हूँ.
~
एक आइना थी तेरे आँखें रोमिल, 
जिसमे मैं, अपना दीदार हमेशा करता था,
जबसे आइना बेवफा हो गया,
तब से हमेशा नाक़ाब में रहता हूँ.

Friday, October 14, 2011

बस कुछ और

बस कुछ और दिन तुम अपना दिल बहलालो,
फिर जाने कब बात हो.
बस कुछ और पल तुम मुस्कुरालो,
फिर जाने कब ख़ुशी साथ हो.
बस कुछ और राह हाथों में हाथ डाल कर चलो,
फिर जाने कब साथ राह हो.

#रोमिल अरोरा

Thursday, October 13, 2011

कितनी हसरत थी

कितनी हसरत थी
तुमको अपना बनाने की
खवाब सजाने की
तेरे संग दुनिया बसाने की ...
~*~
आँचल में तेरे छुप जाये आसमान
चाँद भी तेरा दीदार करे
कितनी हसरत थी
तुझको सजाने की...
~*~
तुझसे ही तो मेरे घर की पहचान होगी
तू ही तो मेरी आरज़ू, मेरे अरमान होगी
कितनी हसरत थी
तुझको अपना साया बनाने की...
~*~
दुनिया देखेगी, मोहब्बत अपनी
बंदगी अपनी, चाहत अपनी
कितनी हसरत थी
तुझको अपना रब बनाने की...
~*~
कितनी हसरत थी रोमिल
तुमको अपना बनाने की
खवाब सजाने की
तेरे संग दुनिया बसाने की ...
[प्रेरित]