Friday, December 2, 2011

मोहब्बत हो जाएगी नजदीकियां न बढ़ाया कीजिये..

रोमिल, चिंगारियों को न इस कदर हवा दीजिये 
मोहब्बत हो जाएगी नजदीकियां न बढ़ाया कीजिये..
*
हूँ मैं आग..आग
मुझे सिर्फ हवा का झोंका न समझिये...
*
जल चुकी हैं मुझसे कई हसीनाएं
वक़्त से पहले अपने क़दम थाम लीजिये...
*
खुदा की क़सम
अब यह प्यार न होगा हमसे हुस्न वालों
इतना तो हमारा ऐतबार कीजिये...

Thursday, December 1, 2011

खुदा का दर छोड़कर तेरे पास आये है...

बहुत मजबूर होकर तेरे पास आये है
खुदा क़सम
खुदा का दर छोड़कर तेरे पास आये है...
*
न ठुकराना हम दर्द-ए-दिल वालों को
अपनों से ठोकर खाकर तेरे पास आये है...
*
न तौफा न दौलत
न तौफा न दौलत
उसकी बेवफाई की कहानी साथ लाये है...
*
तुमसे क्या झूठ बोले
उम्र थोड़ी बची है
तुमसे क्या झूठ बोले
उम्र थोड़ी बची है
अपने कफ़न का सामान साथ लाये है...
*
बहुत मजबूर होकर तेरे पास आये है
खुदा क़सम रोमिल
खुदा का दर छोड़कर तेरे पास आये है...

#रोमिल अरोरा

Wednesday, November 30, 2011

जैसे फूल, काँटों से लिपटे-लिपटे रहते है...

वोह जिद पर अड़े-अड़े रहते है
जैसे फूल, काँटों से लिपटे-लिपटे रहते है...
*
अनबन में हम-दोनों इस तरह उलझे है
वो दूर भी रहते हैं, करीब भी रहते है...
*
हर एक बात पर जो मेरा ज़िक्र किया करते थे
वो आजकल मेरा नाम लेने से भी परहेज किया करते है...
*
उलझन है बस इस बात की दिल में रोमिल
वो देकर दर्द मुझे
क्यों इतना तन्हाई में रोते है...

#रोमिल

Tuesday, November 29, 2011

सजदा

रोमिल कुछ इस तरह तुमको याद मैं कर लेता हूँ
तेरा नाम लिखकर सजदा मैं कर लेता हूँ...

Thursday, November 24, 2011

क्या करू...

यह साल भी बीता बिना बरसात के
मैं आंसू न बहाऊ तो क्या करू...
*!*
इंतज़ार में कटती नहीं रातें
मैं शमा न जलाऊ तो क्या करू...
*!*
उनसे जब पूछे बेवफाई की वजह हैं क्या
वोह तब भी कुछ न बताये तो क्या करू...
*!*
यूंह तो तेरी महफ़िल में मिलते हैं सब गले
कोइए दिल से नहीं मिलता तो क्या करू...
*!*
कोइए नहीं हैं अपना इस शहर में
तेरा शहर न छोड़ जाऊ तो क्या करू...

Wednesday, November 23, 2011

इकरार – ए – मोहब्बत

"इकरार – ए – मोहब्बत करके तो देख रोमिल,
ज़िन्दगी का रुख ही बदल जायेगा,
जो तुझे आज लगता है ज़माने से डर,
कल देखना ज़माना खुद तुझसे डर जायेगा”

Saturday, November 19, 2011

दर्द इतना बढ़ गया है कि अब क्या सुनाये

दर्द इतना बढ़ गया है कि अब क्या सुनाये,
आँखें हो गई है पत्थर, कितना इंतज़ार और हम कर पाए,
मर जाने दो, बस खुली रहेंगे आँखें हमारी,
तुम्हारे इंतज़ार में बोलो इससे ज्यादा और क्या कर जाये!
बोलो! बोलो ! बोलो रोमिल !