Friday, December 16, 2011

आशा तो यही है

रोमिल, आशा तो यही है मेरी की तुझे हमेशा मुस्कुराते हुए देखूं, मगर डर है कि लोग अक्सर मुस्कुराहट में अपनों को भूल जाया करते है। 

आंसू का जब सैलाब आता है तो अपने ही याद आते है,
मगर जब ख़ुशी के फूल खिलते है तो ग़ैरों की बाहों में चले जाते है।

#रोमिल

Thursday, December 15, 2011

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है...

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है,
हर अपने कांच की चूड़ियों की तरह टूट जाते है,
किस-किसको समेटे अपने आँचल में हम,
ज़िन्दगी की आंधियों में आँचल उड़ जाते है…

कितना बदला-बदला इंसान का चेहरा नज़र आता है,
कभी दोस्त तो कभी दुश्मन यह चेहरा नज़र आता है,
मतलब के रिश्तों की डोर सभी ने अपने हाथों में थाम रखी है,
मुख में राम तो बगल में छूरी छुपा रखी है….

सिर्फ परछाईयों में यार नज़र आते है,
ज़िन्दगी की दौड़ में दोस्त पीछे छूटे हुए नज़र आते है,
दो कदम का साथ पाना तो नामुमकिन है,
रोमिल, यहाँ लोग जनाज़े पर भी मतलब निभाने आते है…..

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है...

Wednesday, December 14, 2011

जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ

जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
***
हर पल तेरी ही उम्मीद में खोया रहता हूँ
किस्से पूछूं, कौन बताएगा क्या हैं हाल-ए-दिल तेरा...
***
वोह ज़माना, वोह मोहब्बत बहुत याद आती हैं
मेरी बातों में रात भर जगाना तेरा...
***
ज़माने की ख़ाक छानने के बाद मिली थी मंजिल मुझको
मेरे खतों को पढ़कर मुस्कुराना तेरा...
***
अपनी किस्मत पर नाज़ करता था
नसीब को चूम लिया करता था
रोमिल मुझे जब अपना कहना तेरा...
***
जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...

Tuesday, December 13, 2011

वोह पल बहुत याद आता हैं...

वो किताबों में
तेरा नाम लिखना
वो दीवारों में
तेरा नाम लिखना
अभी भी याद आता हैं...
***
वो नज़रे मिलाना
नज़रे मिलाकर, नज़रे चुराना
तेरे पहलू में मासूमियत के साथ सो जाना
तेरे झूमके के साथ खेलना
अभी भी याद आता हैं...
***
वो बीता हुआ पल
जिस पल में सिर्फ तुम और हम थे रोमिल
वो पल बहुत याद आता हैं...

#रोमिल

Monday, December 12, 2011

बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...

बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...
पतझड़ के मौसम में बहारों का दिन आया...
***
फिर निकले आंसू, खुशियों का पैगाम आया
मेरे अँधेरे घर में सूरज का सलाम आया...
***
पूछ रहा हैं हर लम्हा मुझसे हिसाब
सूखे हुए ज़ख्म से क्यों खून आया...
***
चलते रहना तो मुक़द्दर हैं मुसाफिर का
फिर ज़िन्दगी में क्यों ठराव आया...
***
दिल कहता हैं, कह दूं दुनिया-ए-जहां को अल्लाह हाफिज़ रोमिल
मगर मेरी नाज़ का अभी नहीं पैगाम आया...
***
बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...
पतझड़ के मौसम में बहारों का दिन आया...

Sunday, December 11, 2011

किसी से क्या कहे...

दिया हैं दिल अगर किसी बेवफा को
हुआ हूँ जब मैं गरीब, किसी से क्या कहे...
~*~
यह ज़िद थी कि अपनी मोहब्बत में तबाह हो जाऊं
जब हुआ हूँ तबाह, किसी से क्या कहे...
~*~
रहा न याद अब मुझे किसी दोस्त का घर
ठहर जाऊं दो घड़ी किसी दुश्मन के घर, किसी से क्या कहे...
~*~
समझ कर करते थे हम मोहब्बत-ए-इज़हार रोमिल
नासमझी में अब किसी का हाथ थाम ले, किसी से क्या कहे...

Saturday, December 10, 2011

कुछ आदत बदल ली है...

मिलते थे जो महफ़िल में कभी मुस्कुराके
वोह अब नज़र फेर लेते है.
कुछ आदत बदल ली है...
~
तहज़ीब से जो बोला करते थे,
वोह अब आवाज़ बदल लेते है.
कुछ आदत बदल ली है...
~
रास्ते में मिलते थे, सलाम करते थे,
वोह अब दूर से ही रास्ता बदल लेते है.
कुछ आदत बदल ली है...
~
मेरी हालत देखकर
मेरे अपनों ने कुछ आदत बदल ली है...

#रोमिल