Saturday, December 24, 2011

खुशबू सी महक गई दिल-ए-आशियाने में...

खुशबू सी महक गई दिल-ए-आशियाने में
एक पुराना ख़त पढ़ा अनजाने में...
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जिन ज़ख्मो को वक़्त भर चला था
वो छिड गए अनजाने में...
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आँखों में नमी थी, हंसी थी होंठों पर
कितने ख़्वाब मचल रहे थे अनजाने में...
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ता-उम्र ढूँढ़ते रहे इश्क दुनिया में
वीरानियाँ मिली खतों में हमे अनजाने में...
~*~
खुशबू सी महक गई दिल-ए-आशियाने में
रोमिल, एक पुराना ख़त पढ़ा अनजाने में...

#रोमिल

Friday, December 23, 2011

लोग बदनाम कर देंगे...

तू अमानत हैं किसी और की
मेरा ख्याल न कर
लोग बदनाम कर देंगे...
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बड़े होते हैं बे-रहम यह दुनिया वाले
तू मेरा नाम न लिया कर
लोग बदनाम कर देंगे...
~*~
मैंने सजा रखी हैं अपनी रातें तेरी यादों से
तेरे खवाब से मैं अपनी दुनिया रचा लूँगा
मेरे नाम से मेहंदी न रचाया कर
लोग बदनाम कर देंगे...
~*~
यह मेरे गम मेरे साथ ही दुनिया से चले जायेंगे
आंसू बहते-बहते एक दिन आँखों में सूख जायेंगे
तू मेरी परवाह न किया कर
रोमिल, लोग बदनाम कर देंगे...

Thursday, December 22, 2011

आलम

आज भी याद हैं वो खामोश मुलाक़ात का आलम
चहरे पर दिखती मोहब्बत के जज़्बात का आलम!
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कपकपाते हाथों से देना गुलाब का आलम
होंठों से झलकती मुस्कान का आलम!
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वो आँखों ही आँखों में इकरार का आलम
बिना मंजिल बातें करते-करते चलते जाना
वो चांदनी रात का आलम !
~
रोमिल आज भी याद हैं वो खामोश मुलाक़ात का आलम...

#रोमिल

Wednesday, December 21, 2011

आँखें

खामोश आँखें कुछ बयान करती है,
कुछ बातें वोह सर-ए-आम करती है.
***
तुम्हारे होंठ भी चुप रहे,
हमारे होंठ भी गुमसुम,
बस आँखों से आँखें गुफ्तगू करती है.
***
सोचता हूँ रोमिल, सलाम कर लूं इन आँखों को,
जो झुका कर दुआ हमारे लिए करती है.
***
तुम आ जाओ बस हमारी बाहों में रोमिल,
यह आँखें तुम्हारा इंतज़ार करती है.

#रोमिल

Tuesday, December 20, 2011

फिर भी अच्छा लगता हैं...

क्या-क्या तुमको हम सुनिए
हर एक टूटा सपना लगता हैं
प्यार में धोखा खाए हैं
फिर भी अच्छा लगता हैं...
~*~
खुद से उसकी बातें करना
पागलपन सा लगता हैं
उसकी यादों में आंसू बहाना
फिर भी अच्छा लगता हैं...
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पानी में उसकी तस्वीर देखना
चाँद सा लगता हैं
उसका नाम रेत पर लिखकर मिटाना
फिर भी अच्छा लगता हैं...
~*~
डूबे हैं उसकी आँखों में रोमिल
फिर न उभरे हैं
सागर में कागज़ की कश्ती चलाना
फिर भी अच्छा लगता हैं...

Monday, December 19, 2011

इन दिनों...

जाग के कटती हैं रात इन दिनों
तुम्हारी यादों का सहारा हैं इन दिनों...
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चांदनी आती नहीं मेरे अंजुमन में
चारों तरफ फैला अँधियारा हैं इन दिनों...
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मुस्कुराना मैं भूल गया हूँ जैसे
बेरुखी का चेहरा लगाये फिरता हूँ इन दिनों...
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चलो काम आ गई जुदाई तुम्हारी रोमिल
वरना पागल ही समझते लोग मुझे इन दिनों...

#रोमिल

Saturday, December 17, 2011

हम उसी दिन समझ गए थे

हम उसी दिन समझ गए थे "नाज़"
जिस दिन उसने हमसे ऊँची आवाज़ में बात की थी...
मेरी सारी उम्मीद ख़ाक की थी...
जिसके शब्दों में रहती थी हमेशा मिठास
उसके शब्दों में करवाहत थी...
मेरी मोहब्बत-ए-बस्ती बर्बाद थी..
~*~
हम उसी दिन समझ गए थे "नाज़"
जिस दिन उसने किसी गैर से मुलाक़ात की थी...
तेज़ हवाओं में मेरी जज़्बात की धज्जियाँ उजाड़ दी थी...
~*~
रो दिए हम देखकर तेरा भी मिजाज़ "नाज़"
तूने भी रब की सुनी
रोमिल के एहसासों की न तुझे कोई फ़िक्र थी...
न रोमिल के खवाबों की कोइए एहमियत थी...

#रोमिल